फिर इनमें से किसी एक को बोलकर प्रणाम करें और ऐसा दिन में कई बार कर सकते हैं।1. या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।। 12. बुद्धिहीन…
केतु को प्रसन्न करने हेतु लहसुनिया युक्त “केतुयंत्र” गले में धारण करें । केतु यदि बृहस्पति, सूर्य या मंगल से युत या दृष्ट हो तो "टाइगर-आई" रत्न से युक्त “केतुयंत्र”…
शाम के समय शिवालय में शिवजी के सामने घी का दीपक जलाना, मन्दिर में रोशनी की व्यवस्था में योगदान करना, किसी धार्मिक कार्य में सामर्थ्य के अनुसार सहायता करना, जल…
राहु व केतु का कालसर्प योग से सम्बन्ध पौराणिक मतानुसार समुद्र मन्थन के पश्चात् जब समुद्र में अमृत कलश प्रकट हुआ तब देवों व असुरों के मध्य घोर विवाद की…